The पारद शिवलिंग का अभिषेक Diaries

स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी बाहरी प्रक्रिया से नहीं।

ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।

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ईश्वरीय कृपा: पारद शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने में सहायक होती है।

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१०० अश्वमेघ यज्ञ , चार धाम यात्रा , एक लाख गायीचे दान , केल्याने जे फळ मिळते ते एकट्या पारद शिवलिंगाच्या पूजनाने मिळेल.

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वास्तु शास्त्र के हिसाब से शिवलिंग की जलधारा हमेशा उत्तर की ओर होनी चाहिए। यह काफी शुभ माना जाता है। किस तरह का शिवलिंग रखना शुभ

शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है। शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि हर एक बेलपत्र में तीन पत्तियां हों और वह check here पत्तियां कहीं से कटी हुई न हो।

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पुढील लेखात शिव अभिषेख ची अजून माहिती सादर करेन.

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